छत्तीसगढ़ राज्य गौ संरक्षण एवं संवर्धन समिति-एक परिचय एवं उद्देश्य
छत्तीसगढ़ राज्य गौ संरक्षण एवं संवर्धन समिति एक पंजीकृत अशासकीय स्वयंसेवी संगठन है, जिसका प्रधान कार्यालय जागृति मण्डल, गुरु गोविंद सिंह नगर, पंडरी, रायपुर में स्थित है। संस्था के माध्यम से गौवंश संरक्षण एवं संवर्धन हेतु विविध आयामों को लेकर पूरे प्रदेश में विविध कार्य संपादित किये जाते हैं।
1. गौ सेवा का मूल चिंतन गाय हमारी संस्कृति है। वयं अमृतस्य पुत्रः- पंचनाम् अमृतानां समाहारः पंचामृत् पयो दधि घृतं चैव मधु च शर्करान्वितम् । पंचामृत मयनीत स्त्रानार्थ प्रतिगृहृताम् ।।
पंच अमृत में दूध, दही, घी, गुड़ तथा मधु हैं, इसमें 3 तो गव्य हैं। गाय के दूध को अमृत माना गया है। जीवन भर हम गाय के दूध पर पलते हैं और हजारों पीढ़ियों से दूध, दही, घी का उपयोग कर रहे हैं, इसीलिए हमें अमृतपुत्र कहा जाता है।
भूमि हमारी प्रकृति है।
माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः अथर्ववेद पृथ्वी यानि मिट्टी, हवा, नदी, पहाड़, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, जीव-जंतु इत्यादि । हमारा शरीर इसी भूमि से उत्पन्न अन्न, जल, वायु से बना है। इसीलिए यह हमारी माँ है। भूमि का उत्तम सुपोषण गाय के गोबर से ही होता है।
2. गौ सेवा के लक्ष्य एवं उद्देश्य
घर घर में गाय गाँव में, हर घर में दूध नगरों में गाँव में 1 गौपालक, 2 गौसेवक, 3 गौभक्त तैयार करना। नगरों में 1 गौ व्रति, 2 गौ प्रेमी, 3 गौभक्त तैयार करना।
3. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्य योजना
1. गौ पालन एवं गौ संवर्धन
(1) देशी नस्ल की गाय का पालन-पोषण, रख-रखाव की उचित योजना। (2) गौशाला निर्माण। (3) देशी नंदी का पालन संवर्धन। (4) उचित चारे पानी का प्रबंधन । (5) नंदी, बछड़ों की भी उचित देखभाल, रोगों से रोकथाम । (6) दूध, गोबर, गोमूत्र संग्रह का उचित प्रबंधन ।
2. गौ चिकित्सा
(1) गौ को होने वाले रोगों की पहचान और घरेलू विधि से उपचार। (2) देशी पद्धति से सभी रोगों का रोकथाम। (3) पौधों और घरेलू मसालों से चिकित्सा। (4) होम्योपैथी दवाओं से चिकित्सा।
3. गौ आधारित कृषि
(1) गाय के गोबर से भूमि युपोषण एवं भूमि उपचार (विविध जीवामृत, विविध प्रकार गोबर खाद, विविध घनजीवामृत आदि प्रकार)। (2) गौ मूत्र से विविध प्रकार के कीट नियंत्रक (नीम पत्ता, अर्क पत्ता, धतुरा, बेल, करंज, तुलसी के पत्ते, लहसुन, मिर्च आदि)। (3) मट्ठा-छाछ से विविध प्रकार के कीट नियंत्रक (जीम पत्ता, वनतुलसी, लहसुन, हरा मिर्च, ताँबा) । (4) पौधों को आवश्यक पोषण तत्वों की जानकारी तया बनाने के सरल, सहज पद्धति का प्रशिक्षण ।
4. छत पर बागवानी
नगरों में अपने छत पर गमलों में साग-सब्जी, फूल उत्पादन करना ताकि दूषित हवा, जहरीले रसायनयुक्त सब्जी, फल-फूल से छुटकारा।
5. गौ ऊर्जा
(1) गाय-बैल के गोबर से गोबर गैस। (2) बैलों का खेती में उपयोग। (3) बैल चालित ट्रेक्टर के प्रयोग। (4) बैलगाड़ियों का प्रयोग, (अ) माल ढोने के लिए बैलगाड़ी, (ब) सवारी ढोने के लिए बैलगाड़ी, (स) तेल पिरोने, (द) जल निकासी या सिंचाई।
6. पंचगव्य मनुष्य चिकित्सा
जन सामान्य घरेलु औषधियों पंचगव्य (दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र) मनुष्य के आंतरिक और बाह्य रोगों के लिए तक्रासव, तकारिष्ट, मालिश तेल, दर्द निवारक तेल, गोघृत बाम, गोघृत तेल, गोघृत नस्य, पाचन चूर्ण, त्रिफला चूर्ण आदि।
7. पंचगव्य उत्पाद निर्माण
(1) घरेलु उपयोगी वस्तु, गोनाईल, विविध धूपबत्ती, मच्छरबत्ती, बर्तन धोने का साबुन, मुखकान्ति पाउडर, गणेश आदि विविध मूर्तियों, दीपक आदि।
(2) मनुष्य उपयोगी वस्तु मुखकांति चूर्ण, कायाकांति चूर्ण, केशकांति मलहम, विविध साबुन, मालिश तेल, राखियाँ, मालाएँ आदि विविध वस्तुएँ।
8. विपणन (Marketing) पंचगव्य उत्पादों से रोजगार योजना
एक कार्यकर्ता यदि 500 घर-परिवार में प्रतिमाह 1000 रुपये का भी गो उत्पाद के वस्तुओं का विक्रय करें और 20% लाभ कमाए तो वह एक लाख रुपया मासिक आमदनी कर सकता है। इससे उत्पादक और उपभोक्ता को सहज जोड़ा जा सकता है।
9. गो कथा, मठ-मंदिर, गौशाला सम्पर्क
(1) गाय के अपने इतिहास, वैज्ञानिक और शास्त्रयुक्त प्रसंगों को जन-जन तक पहुँचाने हेतु गो कथाओं का आयोजन श्रद्धा भाव जागरण हो।
(2) प्रत्येक पूर्णिमा में परिवार सहित सामूहिक गो पूजन का आयोजन
(3) अपने घरों में अग्निहोत्र हवन करें।
(4) गोशालाओं में सप्ताह में एक बार जा कर सेवा करें, अपने वर्ग बैठक आदि वहीं करें। मंदिरों में पर्व त्यौहारों में जो उत्पादों की प्रदर्शनी लगे। मंदिरों में पूजन अर्चन में गोमय वस्तुओं का उचित प्रयोग हो।
10. गो विज्ञान परीक्षा
कक्षा 6 से कॉलेज विद्यार्थियों तक गाय और गो विज्ञान की सरल और सहज जानकारियों ले जाना। अपने प्रांत के गाय-बैल को जानने और पंचगव्य के महत्व को समझाने का माध्यम गोविज्ञान परीक्षा है। बच्चों को अपने संस्कृति और गाय के विविध विषयों की जानकारियाँ मिले इसीलिए प्रोत्साहन के लिए पारितोषिक दिए जाते हैं।
11. स्वावलंबी सुरभि ग्राम समूह
एक गाँव के 25 परिवारों में गो पालन, कृषि और सभी प्रकार के उत्पादन हो तथा नगर के एक बस्ती में 100 परिवारों को दूध, अन्न एवं गो उत्पाद वस्तुएँ प्राप्त हो। 10 गाँवों का एक संकुल को 10 उपबस्ती के एक संकुल से जोड़कर गाँवों के संस्कृति को नगरों में और नगरों के समृद्धि को गाँवों में ले जाने का उपक्रम है।
12. गो विज्ञान अनुसंधान, प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र
प्रत्येक प्रांत में एक से अधिक अनुसंधान केन्द्र बनाने और गाय से संबंधित सभी प्रकार के अनुसंधान तथा अनुभवी लोगों के द्वारा करने और उन उपलब्धियों को सामान्य गौपालकों तक प्रशिक्षण के द्वारा ले जाने की योजना।
13. गो रक्षा
14. गोचर भूमि संरक्षण
15. गो अभ्यारण्य
16. जेलों में गौशाला
17. प्रभावी प्रयोगशाला
18. स्वावलंबी कामधेनु नगर
19. स्वावलंबी गोकुल गुरुकुल
20. गो साहित्य और डाटा संग्रह
21. कार्यक्रमों का प्रचार प्रसार
इसके परिणाम-स्वावलंबी, सुखी, सम्पन्न, भारत
| 1. रोग मुक्त भारत | 2. कर्ज मुक्त भारत |
| 3. प्रदूषण मुक्त भारत | 4. अपराध मुक्त भारत |
| 5. कुपोषण मुक्त भारत | 6. विष मुक्त भारत |
| 7. अन्न युक्त भारत | 8. ऊर्जा युक्त भारत |
| 9. रोजगार युक्त भारत। |
